Friday, June 8, 2007

गुनगुनातय हुए आँचल की हवा देय मुझ को

गुनगुनातय हुए आँचल की हवा देय मुझ को
उंगलियाँ फेर के बालों मे सुला देय मुझ को!

जिस तरह फ़ालटू गुलदान पराय रेहता हैं
अपने घर के किसी कोने से लगा देय मुझ को!

याद कर के मुझेय तकलीफ़ ही होती होगी
एक क़िस्सा हूँ पुराना सा, भुला देय मुझ को!

डूबते डूबते आवाज़ तेरी सुन जाओं
आख़री बार तू साहिल से सदा देय मुझ को!

मैं तेरे हिज़र मैं चुप चाप ना मार जाओं कहीं
मैं हूँ सकते में, कभी आ के रुला देय मुझ को!

देख मैं हो गया बदनाम किताबों की तरह
मेरी ताश-हीर ना कर, अब तो जला देय मुझ को!

रूठना तेरा मेरी जान लिए जाता है
ऐशा नाराज़ ना हो, हँस के दिखा देय मुझ को!

लोग कहेते हैं की ये इश्क़ निगल जाता है
मैं भी इस इश्क़ मैं आया हूँ, दुआ देय मुझ को!

एही औक़ात है मेरी तेरे जीवन में सदा
कोई कमज़ोर सा लम्हा हूँ, भुला देय मुझ को...

Wednesday, June 6, 2007

khubsoorat

khubsoorat hain woh lub
jo pyari batein kartey hain

khubsoorat hai woh muskurahat
jo doosron ke chehron per bhi muskan saja de

khubsoorat hai woh dil
jo kisi ke dard ko samjhey
jo kisi ke dard mein tadpey

khubsoorat hain woh jazbat
jo kisi ka ehsaas karein

khubsoorat hai woh ehsaas
jo kisi ke dard ke me dawa baney

khubsoorat hain woh batein
jo kisi ka dil na dukhaein

khubsoorat hain woh ankhein
jin mein pakezgi ho sharm o haya ho

khubsoorat hain woh ansoo
jo kisi ke dard ko mehsoos kerke beh jae

khubsoorat hain woh Hath
jo kisi ko mushkil waqat mein tham lein

khubsoorat hain woh kadam
jo kisi ki madad ke liye aagey badhein !!!!!

khubsoorat hai woh soch
jo kisi ke liye acha sochey

khubsoorat hai woh insan
jis ko KHUDA ne ye khubsoorati ad a ki.

Tuesday, June 5, 2007

Koi Chupke Chupke Kehta Hai

Koi Chupke Chupke Kehta Hai,
Koi Geet Likho Meri Ankhoon Par,

Koi Sher Kaho Mere Lafzo Par,
In Khushbu Jaisi Baato Par,

Chup Chaap Main Sunta Rehta Hoon,
Phir In Jheel Si Gehri Aankhoon Par,

Ek Taza Ghazal Likh Deta Hoon,
In Phool Si Jaisi Baato Par,

Ek Sher Naya Keh Deta Hoon,
Ye Geet Ghazal Sher Mere,

Sab UsKe Pyaar Ka Darpan Hai,
Sab UsKe Roop Ka Roshan Hai,
Sab UsKi Aankh Ka Kajal Hai..!!!..

Bas wo hi wo hai................

Friday, June 1, 2007

कल हो ना हो ..

बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो

क्या पता
कल हो ना हो ..

TUMHARE INTEZZAR MEIN .... WAQT BITANA YAAD HAI!!!!!!!!

TUMHARE INTEZZAR MEIN .... WAQT BITANA YAAD HAI!!!!!!!!


yaadon ke sailabon main doob jaana yaad hai
choti choti baaton ko sunna sunana yaad hai
patjhad main bhi lagta tha mausam baharon ka
tumhare intezaar main waqt bitana yaad hai


thakti nahi thi aankhen dekh dekh rasta
naye bahane banake der se tumhara aana yaad hai
kushboo main hawa ki dhoondna tumhari mehak
baarish ki boondon main apne ashka milana yaad hai


kabhi saath baithe baithe yuhi waqt bita dena
kabhi meri har baat par tumhara muskuraana yaad hai
kabhi bin bataye tumhaara sab kuch keh dena
kabhi keh ke bhi baat chupana yaad hai


kuch sunna chahte the hum tumse
par tumhara na keh paana yaad hai
abhi to mile bhi nahi the raaste humare
yun ek mod par raahon ka mud jaana yaad hai


chaha tha ek kahani bane humari
magar panno ka achanak bikhar jaana yaad hai
kahanni na sahi afsana to ban gaya
is afsaane ka har fasana mujhe yaad hai.

मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,

मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,
घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.

यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.
ये सेलफोन है या ढक्कन,स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.

ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.
ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,के जबकि उसको भी ये खबर है
कि मच्छर नहीं है, कहीं नहीं है.मगर उसका दिल है कि कह रहा है
मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.


तोंद की ये हालत मेरी भी है उसकी भी,
दिल में एक तस्वीर इधर भी है,
उधर भी.करने को बहुत कुछ है,
मगर कब करें हम,इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है,
उधर भी नहीं.दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,
ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है, फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें

Wednesday, May 30, 2007

दोस्ती शायद ज़िंदगी होती है

दोस्ती शायद ज़िंदगी होती है
जो हर दिल में बसी होती है
वैसे तो जी लेते है सभी अकेले मगर,
फिर भी ज़रूरत इनकी हैर किसी को होती है


तन्हा हो कभी तो मुझको ढुँदना
दुनिया से नही अपने दिल से पूछना,
आस पास ही कही बसे रहते है हूँ,
यादों से नही साथ गुज़रे लम्हो से पूछना..!!


ख़वाईश ही नही अल्फ़ाज़ की,
चाहत को तो ज़रूरत है बस एहसास की,
पास होते तो मंज़र ही क्या होता,
दूर से ख़बर है हुमए आपकी हर साँस की..!!


दिल जीत ले वो जिगर हम भी रखते है
कतल कर दे वो नज़र हम भी रखते है
आपसे वादा है हुमारा हमेशा मुस्कराने का,
वरना आँखो में समुंदर हम भी रखते है..!!


प्यार आ जाता है आँखों में रोने से पहले,
हर ख़वाब टूट जाता है सोने से पहले,
इश्क़ है गुनाह एह तो समझ गाये
काश कोई रोक लेता एह गुनाह होने से पहले..!!


पलकों से उठा के ये ख़वाब,
सजाए है क़दमों में तेरे,
संभाल के रखना क़दम,
कही कुचल ना जाए ख़वाब ये मेरे..!